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लेखनी कहानी -09-May-2022

आओ सुनाऊं मैं कहानी

एक अद्भुत प्रेम की
लेकिन हंसी को रोक लेना
बस यही अनुबंध है
आनन्द ही आनन्द है।

वो थी चंचल जलपरी सी
जैसे सागर रूप का
और उसको देखता मैं
जैसे कछुआ कूप का

तुलना मगर स्वच्छंद है
आनन्द ही आनन्द है।

उसका घर,उसकी गली
और उसका स्तर देखकर
मैं ने कुछ कपड़े खरीदे 
घर के बर्तन बेचकर

क्या पता पर तब से मेरा
घर में खाना बंद है
आंनद ही आनन्द है।

फोन करके प्रेम का 
मैंने निवेदन कर दिया
उसके भाई ने पुलिस
के संग मुझको धर लिया

बाकी अभी कुछ छंद है
आनन्द ही आनन्द है।

हाथ टूटा सर घुटा
एक टांग काली पड़ गयी
सबने मुझे छोड़ा तभी
जब सबको ठंडक पड़ गयी

कुछ दांत भी कम हो गये
और आंख बांयी बंद है
बाकी मगर आनन्द है।।



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22 Comments

Soniya bhatt

11-May-2022 07:08 PM

😄😄

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Anshumandwivedi426

11-May-2022 07:32 PM

सादर धन्यवाद

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Anam ansari

11-May-2022 08:47 AM

Nice

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Anshumandwivedi426

11-May-2022 11:45 AM

कोटिशः धन्यवाद

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Haaya meer

10-May-2022 05:48 PM

Amazing

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Anshumandwivedi426

10-May-2022 07:40 PM

Truly thankful

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